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महिलाओं की स्थिती पर हम सभी बातें कर रहे थे, और मेरी पिछली पोस्ट पर मैने कुछ लिखा भी था, कुछ एकेडेमिक ,कुछ व्यक्तिगत. साथ में ही एक और परिचित महिला की हम बातें करने जा रहे थे.
मगर अभी रविवार को मैने कहीं कुछ पढा और साथ ही नेट पर जाकर कुछ और जानकारी ली और एक साहसी महिला की कहानी सामने आई, जिसका नाम है हिस्सा हिलाल.
हिस्सा हिलाल अमीरात में रहने वाली एक कवियत्री है, जिसनें अभी अभी पिछले दिनों संयुक्त अरब अमीरात में अबु धाबी में चल रहे एक रियलिटी शो " Poets of Millions " में भाग लिया और अपने कविता की साहसी, बोल्ड एवम निर्भय अभिव्यक्ति से ना केवल सेमी फ़ाईनल में जगह बनाई, बल्कि दुनिया की लाखों महिलाओं और पुरुषों को पूरा झंझोडा़ , और नेट्दुनिया में एक तहलका ही मचा दिया.
अमेरिकन आईडल की तर्ज़ पर होने वाले इस रेयलिटी शो में संगीत या गानें की जगह अरबी, बदायुनी जीवनशैली, इतिहास,और संस्कृती पर आधारित काव्य पठन होता है.जिस तरह अमेरिका में रॊक स्टार को जैसी लोकप्रियता मिलती है, वैसी ही अरब दुनिया में कवि या शायरों को मिलती है.
इस स्पर्धा में ये नियम है कि हर शायर को अपनी लिखी हुई शायरी ही पेश करनी होगी.प्रतिभागी का आवाज़, शायरी पेश करने का मुख्तलिफ़ अंदाज़, और अश’आर की अदबी गहराई इस पर मार्क्स मिलते हैं.
इसी प्रतियोगिता के सेमी फ़ाईनल्स में एक महिला को स्टेज पर बुलाया गया, जिसनें सर से पैर तक काला नकाब पेहन रखा था.उसके ढके हुए चेहरे पर नकाब की झिरी से दो शक्तिशाली आंखे ही दिख रही थी, और उसका स्पष्ट , निडर और गरजता आवाज़ जब कविता पाठ करने लगा तो वहां उपस्थित दर्शकों की सैकडों आंखें आश्चर्य और विस्मयता से फ़टी की फ़टी रह गयी.सिर से पैर तक काले कपडे में ढकी हुई इस महिला नें बुर्के की ओट से कठोर प्रतिबंध और फ़तवे लगाने वाली मुल्ला मौलवीयों के कपडे उतारना जो शुरु किये,उससे सारे यू ए ई और संसार में ये संदेश गया कि अरब देश की एक महिला मुस्लिम कवियत्री मौत से बिना डरे अपने शब्दों का हथियार लिये एक जेहाद का प्रण ले लिया है, या यूं कहें , विद्रोह का बिगुल बजा दिया है.
जैसे जैसे उसके पैने शब्द धर्म सत्ता के मद में अंधे ठेकेदारों ,तुगलकी फ़तवे ज़ारी करने वालों,आम आदमी का धर्म के नाम पर अत्याचार करने वालों के लिये कविता की नर्म नाज़ूक और मखमली पैरहन लिये माध्यम से दुनिया में पहुंचे तो अधिकतर महिलाओं का उसे साथ मिला,जैसे उनके मन की भावनाओं की ही वह अभिव्यक्ति थी.
ज़रा देखें -
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फ़तवों की आंखों में दिखता है मुझे सैतान,
जो अनुमति को बदल देता है प्रतिबंध में,
एक हैवान, जो सत्य के चेहरे से बुर्का फ़ाडकर अंधेरे में छुप जाता है,
ज़हरीली ,धहकती आवाज़ लिये, क्रूर और अंधा,
कमरबंद से कपडे को पकडने जैसा उसने मृत्यु का परिधान पहन रहा था.....
ये मौत के पैरहन लिये आवाज़ याने आत्मघाती आतंकवादी.
मगर साथ ही कट्टर, धर्मांध व्यक्तियों को ये बात रास नहीं आयी. कई वेबसाईट्स पर हिस्सा को मार डालने की भी धमकीयां दी गयी.मगर हिस्सा नहीं डगमगाई. उसने कहा- मेरी कविता हमेशा ही रही है. धर्म और संस्कृति के नाम पर अनगिनत अरब महिलाओं की आवाज़ दबाने वाली मानसिकता के विरोध में ये मेरी छोटी सी कोशिश है.
कहने की ज़रूरत नहीं कि कि उस शो में निर्णायकों नें हिस्सा के जलते हुए शब्दों और मिले हुए उत्साहपूर्ण प्रतिसाद को देखते हुए उसे फ़ाईनल में पहुंचा दिया है.
फ़ाईनल ३१ मार्च को याने कल होगा. देखते हैं कल क्या होगा? शायद अल्पना जी यू ए ई से हमें इस शो का आंखो देखा हाल सुनवायेंगी, १ अप्रिल को!!
ये विडियो देखें,