Sunday, November 30, 2008

शहीदों के नामों को भुनाने का घिघौना खेल ,रियलिटी शो ...


आज मैं मुम्बई में हूं.
कल ही पुणें आना पडा़, नुपूर के चेक अप की अर्जेंसी थी, फ़िर मेरे इजिप्ट प्रोजेक्ट के लिये मीटींग थी मुंबई में.

खुशी की बात है, कि ऒपरशन ताज़ खतम हुआ, और अब सब ठीक है.

सब ठीक है???

माया नगरी मुंबई की फ़िज़ां में एक अजीब सा सन्नाटा है, साउथ मुम्बई में तो इक्के दुक्के ही लोग दिख रहे है. लोगों के मन में भय है, कि वहां तो सब ठीक हो गया है, मगर वे शैतान तो यहीं कहीं मानव समुद्र में मिल गये है,एक नये शिकारी अभियान के पहले की शांति तो नही? CST Station पर फिर से फ़ायरिंग होने की अफ़वाह भी सनसनी फ़ैला गयी.

दर्द की इन्तेहां हो गई है, मन में निराशा, मगर जो बच गये उनकी सलामती पर थोडी़ राहत ज़रूर.

मेरे प्रोजेक्ट पर , मेरी बिझनेस कम्युनिटी भी सकते में हैं. ऒफ़िसों में भी उपस्थिती हलकी थी, बडे़ अफ़सर आये थे, स्टाफ़ अभी भी भय में सिमटा हुआ है.

एक बात और, सभी जगह शहीदों के फ़ोटो और बॆनर लगे है, राज ठाकरे , शिवसेना, कॊंग्रेस , भाजपा, सभी के . शहीदों के नामों को भुनाने का घिघौना खेल ,रियलिटी शो ...

एक SMS मिला मुझे - राज ठाकरे कहां है? उन्हे बताओ कि दिल्ली से आये NSG के २०० कमांडों में कोई महाराष्ट्रीयन नही है.. (Mid Day में भी दोपहर को छपा है)

Point is well taken, as far as Raj Thakre is concerned.

मगर यह SMS कहीं नही है, जो मेरे आहत मन में उभरा - एक महाराष्ट्रीयन मन में-

सबसे प्रमुख शहीद टीम जिन्हे मुंबई की पुलिस में और जनता में बहुत ही आदर और निष्ठा से देखा जाता रहा है वे तीनों मराठी माणूस हैं..

हेमन्त करकरे,अशोक कामटे ,विजय सालसकर...

उन्हे सलाम..

प्रसिद्ध पुलिस अफ़सर और रोमानिया में भारत के पूर्व राजपूत ज्युलियस रेबेरो नें कहीं एक कॊलम में लिखा है, कि ये तीनों अफ़सर पुलिस के उन जांबाज़ अफ़सरों में से थे जो उच्च चरित्र और शौर्य के लिये जाने जाते थे, और रिश्वत मंड़ली से कोसो दूर थे.

बुधवार को करकरे उनके पास आये थे, इस बात से व्यथित हो कर के लालकृष्ण अडवानी नें उनके मालेगांव के हिन्दु आतंक के दृढ और इमानदार सफ़ाया पर प्रष्णचिन्ह लगा दिया था.

ये सुना है कि नरेन्द्र मोदी नें शहीदों के लिये १ करोड देने की पेशकश की है महाराष्ट्र की सरकार को और शहीद करकरे कि पत्नि नें उसे ठुकरा दिया है, (इसी वजह से शायद)

उस अफ़सर नें कर्तव्य पालन में कहीं कमी नही दिखाई, despite the bare fact the his moral was low with such stupid remarks .

ए वतन , हमको तेरी कसम, तेरी राहों में जां तक लुटा जायेंगे..


अब नेताओं का रियलिटी शो..

अमिताभ के लखन अमरसिंग भिया नें करकरे के शहीद नाम पर भी टिप्पणी करते हुए उन्हे खलप्रवृत्ती का इन्सान बताया. साष्टांग प्रणाम, शिखंडी़..

कल शाम जैसे ही कमांडो नें ऒपेरेशन खत्म किया जनाब गोपिनाथ मुंडे नरीमन भवन पहुंच गये.वे वहां क्या कर रहे थे? भैयाजी , जरा थोडे़ पहले पहुंचते तो आतंकवादी आपके डर से आत्म समर्पण कर देते!!

मुझे याद है कई सालों पहले संसद भवन पर आतंकी हमले का मैं चश्मदीद गवाह हूं. बिहार के कई मुस्टंडे़ और बाहुबली सांसदों की डर से घिग्घी बंध गई थी , और वे भाग कर समीप के निर्माणाधीन पुस्तकालय भवन में जहां हमारा काम चल रहा था , कांपते हुए, घिघियाते हुए हम से मिन्नतें कर रहे थे कि सेकंड बेसमेंन्ट में किसी कमरें में उन्हे लॊक कर दें और चाबी फ़ेंक दें, ताकि कोई आतंकवादी उन्हे बंधक ना बना सके.उनमें से दो नें तो अपने पजामे तक गीले कर दिये थे. ऐसे जाबांज़ (?) कर्णधारों को नमन.

(अभी ६ दिसंबर को उस घटना की बरसी पर उस आतंक की दास्तां ,आंखों देखी लिखूंगा)

महाराष्ट्र के सरकार में गृह मंत्री आर आर पाटील से पूछा गया कि क्या ये इंटेलिजेंस टीम का निकम्मापन नही है, तो तिलमिलाकर बडे़ मियां कहते है-

बडे़ बडे़ शहरों में तो ऐसा छोटा हादसा हो ही जाता है.

आदाब, मेरे मुन्ने, क्या मासूमियत है, कि आरती उतारने का जी करता है.

खैर , अब कुछ Comedy of Terrors कल, अगले अंक में, देखते रहिये, पढते रहिये ..ब्रेकिन्ग न्यूज़..

और हां, उन सभी NSG के कमांडो़ , सेना के और पुलिस के जवानों को सलाम जिन्होने अपनी जानें गंवांई, या जान को जोखि़म में डाला सिर्फ़ इस लिये कि -

अब कोइ गुलशन ना उजडे़, अब मुंबई आज़ाद है...

और छपते छपते..

मेरी बिटिया नुपूर के दिल्ली के MBA Course का सहपाठी, जिसकी शादी खड़कपुर में अभी ६ तारीख को होनी थी, खुद तारीख बन गया. CST Station पर होटल से खाना खाकर लौटते हुए वह भी आतंकवादीयों के गोलियों का शिकार हुआ.
ऐसे कई अपनों की पीड़ा का एहसास हुआ जिनके चित्रों पर अब माला चढ गयी है.

Friday, November 28, 2008

ब्रेकिंग न्यूज़..



मुंबई पर आतंकवादी हमला..

ब्रेकिंग न्यूज़..

सभी न्यूज़ चॆनल चीख चीख कर गला फ़ाड़ कर कह रहे हैं...

हैरां है हर भारतीय , दुख में है सारा भारत, मगर चॆनल वालों का तमाशा जारी है.

चॆनल वालों ने बहुत बडे़ ब्रेकिंग न्युज़ का खुलासा किया है, - ये एक आतंकवादी हमला है...(वाह,जैसे कोई अभी तक हम तो सोच रहे थे कि ये सब मस्ती हो रही है)

रुकिये जाईये नही--- ब्रेक के बाद हम फ़िर आते है- तब तक आप देखिये बंदर की चड्डी बनियान की ऐड्वर्टाईज़मेंट.और भी - चोकोलेट,कॊंग्रेस भाजपा को वोट दो,सेनिटरी नेपकिन, आदि.

ये हमला अमेरिका के ९/११ के हमले के समकक्ष भारत के लिये माना जा रहा है. मगर उन दिनों CNN ने कमर्शियल ब्रेक लिये बगैर घटना दिखाई थी वहां, और आप हम यहां दो दो हमले झेल रहे है-

एक फ़िदाईन आतंकवादियों का, और दूसरा इन चॆनल वालों का आतंकवाद.

खैर, ईश्वर और अल्लाह उन सभी की आत्माओं को शांती प्रदान करे जिन्होने इस पगलायी नयी पीढी के कुछ नौजवानों द्वारा अपने प्राण गवांयें, और वे शहीद जिन्होंनें अपने प्राणों की आहुती दी, ताकि हम अमन से रह सके.

Tuesday, November 18, 2008

नूपुर के दिल से

दिल ढूंढता है फ़िर वही फ़ुरसत के रात दिन...
गुलज़ार साहब क्या खूब फ़रमा गये है. इन दिनों व्यस्तता का ये आलम रहा कि ब्लोग से दूर रहना पडा़, तो हर पल हर घडी़ सामने वो रंगीन खाका गुलज़ार होता रहा, और हम तरसते रह गये आपसे बतियाने को, हाले दिल सुनाने को.

हमारी बिटिया नूपुर जो अभी पूना में है, उसे किसी वजह से अस्पताल में भरती होना पडा़ और जब उसे लेकर इन्दौर आये तो हम फिर से जमींदोस्त हो गये, याने शुद्ध हिन्दी में गिर पडे और बडी़ हिन्दी हो गयी हमारी. ( पता नही क्या सोच कर ये कहावत हमारे यहां बोलने का चलन हो गया है, या शायद भोपाल से इम्पोर्ट हुई है खां.एस्ये केस्ये केने लग गये मियां के बिलावजा पिनपिनाने लग गयी ज़बान)

चलो स्वास्थ्य लाभ कर रहा हूं. बडी मज़ेदार व्यवस्था हो गयी है. बिटिया जो चल फ़िर नहीं सकती, मेरी पोस्ट अभी लिख रही है.और मैं चल फिर सकता हूं मगर लिख नही सकता क्योंकि हाथ के पंजे के बल ज़ख्म खाया गया है,

लोग काटों से बच के चलते है,
और हमने फ़ूलों से ज़ख्म खाये है.


तो लिखवा रहा हूं.ब्लोग की दुनिया का नया प्रयोग शायद!!!(अमिताभ को छोड़ कर)

कोइ बात नही , रात बाकी , बात बाकी... अगली बार.....
courtsey Noopur.

सलाम मेरा, नूपुर के दिल से. पापा ठीक हो जाने तक वो वेदव्यास और मैं उनकी गणपति.( I also share same sense of humour as my papa does!!!)

मेरा दिल बडा़ ही खुश हो रहा है आज, क्योंकि मेरे भारत के चंद्र यान नें अपनी तस्वीरें भेजना शुरु किया है..

गर्व से कहो हम भारतीय हैं!!!!



चुनावी महौल् है, और् सांपनाथ् और नागनाथ अखाडे़ में हैं. दोनों की कमीज़् सफ़ेद नहीं और कीचड़ उछालने की प्रक्रिया चल रही है. ये कारटून् देखें जो हमारे यहां के दैनिक नई दुनिया से साभार् लिया है.

























एक और कारटून जो सत्य वस्तुस्थिती बयां करती है. (नई दुनिया से साभार)


दस्विदानिया...

Monday, November 10, 2008

सत्यजित रे- फ़िल्म सिक्किम


"सिक्किम"

यह नाम है उस फ़िल्म का जो महान फ़िल्म निर्देशक सत्यजित रे नें बनाई थी, मगर किसी कारणवश उसे थियेटर नसीब नहीं हुआ था.अमूमन अधिकतर लोग यह नहीं जानते कि उन्होने ऐसे नाम से कोई फ़िल्म बनाई भी थी.

आज यह नाम सामने आया है तो इस वजह से कि १० से १७ नवम्बर तक कोलकाता फ़िल्म फ़ेस्टिवल में इस फ़िल्म को दिखाया जायेगा, और सत्यजित रे के कई चाहने वाले इस फ़िल्म का इन्तज़ार ही कर रहे थे.

बात ही कुछ ऐसी थी.

दरसल इस फ़िल्म का निर्माण किया था सिक्किम के राजा और रानी नें और सन १९७५ में इसे भारतीय सेंसर बोर्ड नें भी मान्यता दी थी. मगर दुर्भाग्यवश ,इस फ़िल्म की सभी प्रिंट्स नष्ट हो गयी थी.

लेकिन सौभाग्य से अभी अभी ब्रिटीश फ़िल्म एकादमी के पुरातत्व विभाग में संयोगवश एक प्रिंट मिल गई तो यह अनमो्ल खजाना हम तक पहुंच पाया.रे नाम का इतना जबरदस्त प्रभाव है, कि यु एस एकेडमी ओफ़ मोशन पिक्चर्स ने इस फ़िल्म को डिजिटल स्वरूप दिया है.


इस फ़िल्म के साथ रे की अन्य फ़िल्में - पारोश पाथर, तीन कन्या, जोय बाबा फ़ेलुनाथ टु , और अपराजितो को भी प्रदर्शित किया जायेगा.




सत्यजित रे अपने मृत्यु के कुछ दिन पहले, एकेडमी अवार्ड के साथ..
Blog Widget by LinkWithin