Friday, January 16, 2009

फ़िर वही शाम वही गम वही तनहाई है..

जॊर्ज बुश (छोटे) अब जा रहे है, बडी़ दुख की बात है.



वे वैश्विक राजनीति के लालु प्रसाद यादव थे. दादागिरी में वे कही भी मायावती से कम नही पडते थे.उनकी वजह से ही चौधराहट का ग्लोबलाईज़ेशन हुआ. हम सब भारतीय उनके जाने के बाद बडे़ ही मायूस हो जायेंगे , कि फ़िर वही अमरसिंग लल्ला , मुलायम दद्दु , शिवराज ताऊ पातिल ( पाटिल की कडक़ इस्त्री ढीली हो गई तो पाटिल का पातिल हो गया, और फ़िर हालत और पतली हो गई है जब से पाताल में पहुंच गये है)..

मायावती का जन्म दिन भी निपट गया. लोग भी बडे वो है . अगला परधान मन्तरी बनने के सपनें देख रिया है, और आप है, उस इंजिनीयर को पकड के बईठे है .बहुत नाइन्साफ़ी है. जरा रुको ,परधान मन्तरी बनने दो, मध्य प्रदेश और सारे देश का भारतीयकरण हो जायेगा , और सारे देश के इंजिनीयर हमारे ही लिये केक काटेंगे.शुक्र है कि मैंने हाऊसिंग बोर्ड की नौकरी शुरुआती दिनों में ही छोड दी थी, वरना मेरी ऊंगलिया भी सडक बनाते बनाते ( याने कुछ और बनाते बनाते ) इतनी मोटी हो जाती कि ये ब्लॊग भी नही टाईप कर पाता.

बात तो बुश बाबुजी की हो रही थी. पिछले दिनों में जो जूतम पैजार हुई थी, उसके बाद सी आई ए नें यु एस ए में जूतों का इम्पोर्ट बंद करवा दिया.हमारे यहां भी जूतों का स्टॊक बजार से मंदी के बावजूद गायब हो गया. पता नही, ऊपर उल्लेखित नामों ने पहले ही रिस्क कवर कर ली होगी.


बराक ओसामा ( माफ़ करें, की बोर्ड फ़िसल गया, बराक ओबामा) आवेंगे और फ़िर बहेगी नई हवा, पुराने प्रदूषण को दूर किया जायेगा, नये डीयोडोरेंट के स्प्रे से. आप सिरदर्द के लिये बाम लगाते है, दर्द को भगाने के लिये नही, वर्ना उससे बडा़ दर्द देकर उसे भुलाने के लिये.ओबामा का दिया दर्द भुलाने के लिये ओबामा आवेगा क्या?




किसी ने ठीक ही कहा है कि - अगर मर के भी चैन ना पाये तो कहां जायेंगे?

शू.... चुप रहिये, हम गाना गा रहे है :-

फ़िर वही शाम वही गम वही तनहाई है,

और आप ये कार्टून देखिये ..(अपने ताऊ माफ़ करें शिवराज को ताऊ बोल दिया)

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