Thursday, October 8, 2009

मन रे तू काहे ना धीर धरे..... करवा चौथ-- बनाम सातवां जन्म


नहीं, मैं यहां आपको ये गीत नहीं सुनवा रहा हूं. ना ही अपनी आवाज़ में , ना ही रफ़ी जी के स्वार्गिक स्वर में.मैं तो आज बडा ही खुश हूं , मूड में हूं , क्योंकि आज का दिन बडा ही भाग्यशाली दिन है,जो पूरा खुशनुमा गुज़रता है, और पत्नी की तरफ़ से कोई रिस्क नहीं होती.

जी हां,आज करवा चौथ के व्रत का पावन दिन है. आपको मालूम ही है कि आज के दिन उत्तर भारत में पत्नीयां अपने (अपने) पति की लंबी उमर के लिये व्रत रखती हैं, दिन भर उपवास रखती हैं, और रात को चंद्रमा को देखकर ही व्रत तोडती हैं.

मगर हमारे यहां महाराष्ट्रीय परिवार में करवा चौथ नहीं मनाया जाता.

इसलिये हमारी एक मात्र पत्नी डॊ. नेहा नें जब आज मुझसे सुबह यह बताया कि वह भी आज व्रत में उपवास रख रही है, तो मैं हैरान हो गया.मगर उन्होने बाद में स्पष्टिकरण दिया कि आज संकष्टि चतुर्थी है और इस बार से वह हर महिने यह व्रत रखा करेगी.

मैंने चैन की सांस ली. चूंकि हमारे यहां हरतालिका का व्रत रखती हैं पत्नीयां जो करवा चौथ से बहुत ज़्यादा कडा होता है.एक रात पहले के डिनर के बाद पूरा दिन और रात बारह बजे तक कोई अन्न या जल तक नहीं लेती.जबकि सुना है, कि करवा चौथ में सुबह उठ कर पहले कुछ खा लिया जाता है, और शाम को चांद को देखकर व्रत तोडा जाता है.

वैसे हमारे देश में यह बात बडे महत्वपूर्ण और असर के साथ कही जाती है, कि हर पत्नी सात जन्मों के लिये एक ही पति की कामना करते हुए ईश्वर से प्रार्थना करती है, और व्रत रखती है.

अब बताईये ,मेरे मित्र की पत्नी का एक SMS नेहा को आया था जो जंच गया अपुन को, कि पत्नीयां इसलिये हर जन्म उसी पति को ईश्वर से मांगती हैं , क्योंकि अगले जनम में पति पर इस जनम की गई उसकी मेहनत बेकार नहीं चली जाये!!!(सात जनम तो लगेंगे ही एक अदद पति को पूरी तरह से ’सुधरने’ को!!!)

इसीलिये मैंने पत्नी को इस बार भी आश्वासन दिया( हमेशा की तरह ) कि इस साल तो मैं सुधर कर दिखाऊंगा. मगर पत्नी सिर्फ़ हंस दी. गोया , ना मैं सुधरूंगा, और ना ही अगले जनम की बर्थ पक्की.

वैसे नेहा अपने उस मित्र से फोन पर कह थी कि यह जनम आखरी है.याने सातवां!!!!!

याने , इसका क्या मतलब हुआ?

याने अपन पूरे सुधर गये है?
या
अपने में अब सुधरने का कोई चांस नही रहा?
या
जो भी हो, अब बहुत हुआ.नई घोडी(या नया घोडा) नया दाम ?
या
क्या आपको ही सेंस ओफ़ ह्युमर है?, हम मज़ाक नहीं कर सकते?(इति-पत्नी)

वैसे अब ये गीत कहां तक सार्थक होता है - और किसके लिये -(मेरे या पत्नी के लिये) कि मन रे तू काहे ना धीर धरे- बस ये तो सातवां जन्म है!!!

अब बताईये , अगर कोई चेनल वाला आ गया और मुझसे पूछ बैठा कि आपकी क्या रियेक्शन है? तो मैं क्या जवाब दूंगा?

4 comments:

राज भाटिय़ा said...

मुझे तो लगता है आप के सात जन्म पुरे हो गये,
लेकिन सुधरा हुआ पति वो होता है जो, बरतन धोये,मांजे, कपडे धोये, परेस करे,खाना बनाये,बच्चो को समभाले, जब सब सो जाये तो घर मै पोचे( गिला कपडा) मारे, बीबी के पांव दवाये,उस के मां बाप ओर भाई बहिनो को सर पर बिठाये, अगर यह सारे गुण आप मै है तो आप बिलकुल सुधर गये है, ओर अगर बिगडना चाहते हो तो हमारी संगत मै आ जाओ... अगर महीने मै बीबी ना भाग जाये...अरे अरे नही माफ़ करना गलत लिख दिया, मेरा मतलब बीबी ना मान जाये तो कहना.
राम राम जी की

Udan Tashtari said...

अब आश्वासन देना और उससे मुकर जाना तो हम भारतीयों के रहनुमाओं (Leaders) का धर्म है, उसका पालन भी तो करना है. इसलिये सुधरना कैंसिल!!! :)

बहुत बढ़िया आलेख.

डॉ .अनुराग said...

गीत अपने पास भी है....

शरद कोकास said...

इसीको हमारी श्रीमती जी कभी कभी व्यंग्य मे कहती है " भगवान करे यह जनम आखरी हो " ( वैसे हम दोनो पुनर्जन्म आदि मे विश्वास नही करते )

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