Monday, August 10, 2009

कर्मशील , स्वयंसिद्धा बहन- रजनी...



रक्षा बंधन का पुनीत दिवस आकर चला गया.

राखी पर पोस्ट तैय्यार करने बैठा तो सोचा चित्र नेट से ले लूं. गूगल बाबा में सर्च में राखी डाला तो ८० प्रतिशत परिणाम आये राखी सावंत के और उसके स्वयंवर के बारे में !!! अब राखी सावंत जैसा व्यक्तित्व , और राखी के धागे के पवित्र ,प्लेटोनिक स्नेह बंधन.... वाह , क्या कंट्रास्ट है जनाब!!! खैर.

वैसे परंपरा के अनुसार इस दिन भाई अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन लेते थे.

आज नारी स्वयं सक्षम है, स्वयंसिद्धा है. मगर फ़िर भी ये प्रेम , स्नेह का त्योहार हम सभी के मन की गहराई में रच बस गया है, किसी भी फ़्रेंडशिप डे की ज़रूरत महसूस ना करते हुए भी .

कल मैं काम के सिलसिले में इंदौर से करीब १२० किमी पर बसे प्रकृति की गोद में बसे एक छोटे से कस्बे खातेगांव गया था. रास्ते में मालवा के पठार के उतरन की हसीन वादियां छोटे पैमाने पर हमारा स्वागत कर रही थी.मेरे बडे भाई के बचपन के मित्र वहां एक फ़ेक्टरी खोलने की प्लानिंग करने के लिये मुझे साईट दिखाने ले गये थे.

उन्होनें वहां ज़मीन के मूल पुश्तैनी मालिक से भी मिलवाने का वादा किया था , जिनसे कुछ ज़मीन खरीदकर उसपर प्रोजेक्ट तय्यार करना था.

काम करने के पश्चात जब हम मालिक से मिले तो मैं आश्चर्य चकित रह गया जब मैं मिला एक २०-२१ साल की युवती से, जिसका नाम था रजनी. गांव के परिवेश में पली बढी होने के बाद अब वह एक आधुनिका थी , और बेहद सुलझी और मेच्युर बातें कर रही थी. जींस, और मोबाईल के साथ साथ बिज़नेस का सलीका भी बखूबी नज़र आ रहा था.

मैने जब उसके हाथ पर बहुत सारी राखीयां बंधी हुई पायी तो उससे पूछ ही बैठा कि ये क्या, तुम्हारे हाथों पर राखी? क्या मालवा या निमाड क्षेत्र का कोई रिवाज है?

तो उसने जो बताया , तो उस कर्मशील , स्वयंसिद्धा बहन के प्रति मेरे मन में आदर भर आया.

उसके पिता इस दुनिया में बहुत पहले छोड गये थे, और उसकी ६ और बहनें थी, जिनके लालन पालन का ज़िम्मा उसकी मां के बदले रजनी पर आया. और अब कुछ सालों से वह इंदौर आ गयी है, अकेले रहती है, और एक निजी ओफ़िस में प्रबंधन का काम कर अपने परिवार का खर्चा वहन करती है.आगे चल कर अपनी ज़मीन पर वह अपना खुद का कोई उद्यम शुरु करने का भी साहस भरा निर्णय ले चुकी है.

याने,समय नें उसे कम उम्र में ही अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास करा दिया, और अब वह बखूबी एक भाई की तरह अपने बाकी सभी बहनों की रक्षा कर रही है!!(Literally)

और इसी भावना को मन में रख कर रजनी की सारी बहनें उसे रक्षाबंधन के त्योहार पर राखी बांधती है!!!

आज रजनी जैसी और भी कई बहनें होंगी, और भी कई भाई , जिनके जीवन में रजनी जैसी बहन एक अहम भूमिका निभा रही होगी!!

इस रजनी को और उन सभी अनाम रजनीयों को सलाम!!!

5 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत अनुकरणिय और प्रेरणादायक.

रामराम

Alpana Verma said...

रजनी जैसी लड़कियाँ सच में इस पुरुष प्रधान समाज में प्रेरणा दायक उदहारण हैं.यह तो बहुत ही हिम्मती लड़की है यह ईश्वर उन्हें हर ख़ुशी दे.इस तरह की लड़कियाँ /बहने जो समाज में दूसरो के लिए उदाहरण बन जाएँ वे अपने परिवार का ही नहीं उस समाज का भी गौरव हैं.

डॉ .अनुराग said...

वाकई..रजनी जैसी लड़किया खामोशी से बिना कोई शोर मचाये इस दुनिया में न केवल अपना वजूद तलाश रही है बल्कि अपनी जिम्मेदारियों को भी निभा रही है ....जब भिउन्हे मिले कहियेगा .उनका एक फेन क्लब खुल गया है

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

रजनी जैसी एक और युवती को मैं भी जानती हूँ - बहुत अच्छा लगा इनसे मिलकर - आभार आपका
और,
उर्दु शायरों के गीत , जो मेरे ब्लॉग पर आपको पसंद आये थे उन्हें आप ही क्यूं नहीं गा कर सुनवा देते दिलीप भाई ?

स्नेह,
- लावण्या

जीवन सफ़र said...

रजनी समाज का गौरव हैं,और मुझे ऐसी ही एक रजनी याद आ गई जो हमारी प्रेरणा स्त्रोत है,वो है हमारे पडॊस मे रहने वाली चरण आंटी जो अपने परिवार के लिये समर्पित जीवन जी रही हैं,आपने सही कहा ऐसे ही अनगिनत रजनीयां समाज में अनाम जिन्दगी जी रही है उन सभी को हमारी शुभकामनायें!रजनी से मिलकर अच्छा लगा आभार आपका!

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