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Thursday, October 2, 2008

OPEN STANCE बनाम अहिंसा के पुजारी




आज से कई साल पहले जब कुछ चित्र बनाने का शौक था, तो यह Ink Illustration बनाया था. तब से अनाम पड़ा था. आज ही इसका नामकरण किया है :

OPEN STANCE

आज गांधी जी का जन्म दिन है. अहिंसा के पुजारी का जन्म दिन!! और मैं यह क्या लिख रहा हूं?

अभी कुछ ही दिन हुए. अभी अभी बीजींग ऒलंपिक्स में हमारे जांबाज़ों नें अपने देश के लिये व्यक्तिगत पदक हासिल कर भारत वर्ष का नाम रोशन किया.अभिनव बिन्द्रा और सुशील कुमार.

मुक्केबाज़ी में कांस्य पदक लेने वाले सुशील कुमार से ज़्यादा उम्मीदें थी अखिल कुमार से, जो क्वार्टर फ़ाईनल तक का सफ़र तय कर नही पाया.

एक औसत मुक्केबाज़ से ऒलम्पिक में क्वालिफ़ाय करने वाले अखिल कुमार नें बीजिंग जाने से पहले दिये एक साक्षात्कार में कहा था कि उसके कोच नें उसे एक नया मंत्र दिया " OPEN STANCE " .याने जब आपका प्रतिद्वंदी आपको पंच मारने आये तो सामान्यतः आप अपने डिफ़ेन्स को मज़बूत करते हैं और मौका मिलते ही स्ट्राईक बॆक करते है. मगर इस नयी तकनीक से आप अपने डिफ़ेन्स को खुला कर देते हैं , और प्रतिद्वंदी को खुला आमंत्रण देते है कि आ, मार मुझे. उन गाफ़िल लमहों में आप उसके इस कमज़ोर डिफ़ेंस को ढ़हा कर पलटवार करते है, और अंक बटोरते है.

मेरा मानना है कि आज आतंकवाद से निपटने के लिये यही सोच ज़रूरी और लाज़मी हो जाती है. अमेरिका नें 9/11 के बाद कोई भी आतंकवादी हमला नही झेला. पक्का इरादा. दृढ निश्चय और एक मंत्र - Nip in the Bud.

लाल बहादुर शास्त्री अगर आज होते तो क्या यह समस्या होती? (आज उनका भी जम्न दिन है)

हमारे यहां करेगा कोई, भरेगा कोई. आतंकवादी हर समाज में , धर्म में और व्यवस्था (System) में हैं, हम उन्हे छोड़ देते है, और आम इंसान को पकड़ लेतें हैं.

मैंने भी यही करने की सोची. सामान्यतः अहिंसावादी होने की पराकाष्ठा तक अपने चरित्र में अहिंसा को जिया है, कि रावण तक से प्यार करता हूं .मगर यह बात रावणों को कहां पता ? आध्यात्मिक बल कम पड़ गया.ज़ाहिर है इस तामसिकता की फ़िज़ा में सत की क्या बिसात? हमेशा रुसवाई ही रही.

मगर ये तो बड़ी कारगर तकनीक निकली. मेरे सामने हर कोई डिफ़ेंस खुला कर आया, (अल्लाह की गाय )और चौंक कर मुंह के बल गिर पडा़.मगर इसमें खुदी गायब हो गयी, बेखुदी में अपनों को पीड़ा पहुंचायी, और जिनके लिये ज़िंदगी भर के सिद्धांतों पर समझौता किया, वे तो ज़्यादा शातिर निकले. कुछ लोमड़ीयों, और गिरग़िटों नें खिंसे निपोर ली, सौजन्यता की मूर्ति बन गये सामनें, पीठ पीछे छूरी रख बाद में वार किया. और कुछ गेंड़ों नें तो एक ही बात पर अमल किया - Offense is Best Defense.Survival of fittest के जंगली न्याय का Menifestation!

ढाक़ के फ़िर तीन पात..

मगर फ़िर एक अख़बार में महात्मा गांधी पर छपे एक वक्तव्य को पढ़ा ,अपने युरोप यात्रा में उत्तरी धृव से करीब १००० मील पर आख़िरी कस्बे नॊर्वे के ’होनिंगस्वाग ’ से प्रकाशित एक अंग्रेज़ी दैनिक में- जो इस ब्लोग के मुख़पृष्ठ पर डाल दिया गया है:











Quote:

Peace is the most powerful weapon of Mankind. It takes more courage to take a blow than give One. It takes more courage to try and talk things through than to start a war.



(गांधीजी का चित्र नेट से साभार-A collage of humans)

हज़ारों मील दूर एक विदेशी संस्कृति के साये में विदेशी धरती पर कोई विदेशी यह मानता है,तभी तो छापता है. गांधी वैश्विक धरोहर हो गये है, अधिक प्रासंगिक हो गयें है उनके लिय्रे. और हम यहां भारत में , हमारे आध्यात्मिक संस्कारों के अगुआई में भी यह भूल चुके हैं. हमें कोई और चला रहा है, और हम चल रहें हैं.भेड़ों की बहुतायत हो गयी है, सियारों की बन आयी है, और हमारे जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी परजीवी हो कॊफ़ी हाउस में लेक्चर झाड़ रहे हैं.

मैं खूब शर्मिंदा हुआ और अब भी हूं.आप का क्या हाल है? आप किस पार्टी में है दादा?

अखिल कुमार को स्वर्ण नही मिल पाया. पता चला कि Open Stance के चक्कर में खुद का Defense ही कमजोर कर बैठे!!

मैं फ़िर अपनी पुरानी राह पर चल पड़ता हूं, जिसका काम उसीको साझे.

उन्हे ज़िंदगी के उजाले मुबारक, उनके परिभाषित अंधेरे हमें रास आ गये हैं.

और हमारे परिभाषित उजाले और भी प्रकाशवान और दैदिप्यवान हो गये है.आत्मा की शुद्धता लिये निकल पड़े है खुल्ली सड़क पर अपना सीन ताने.कोई तो अगली पीढी़ को बताये गांधी क्या हैं और उनकी प्रासंगिकता आज के ज़माने में क्या है.

मगर मैं अकेला नहीं हूं शायद, आप तसदीक करेंगे इस बात की?



एक चित्र और ...


क्या बात है? अहिंसा के पुजारी की सुरक्षा व्यवस्था ?
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