Friday, September 18, 2009

डेंग्यु बनाम वाईरल फ़्ल्यु


अंत भला तो सब भला.

बिटिया भी चंगी हो गयी और अपन भी.

दरसल स्वाईन फ़्यु के चक्कर में मीडीया इतनी व्यस्त हो गयी है कि घबराहट ज़्यादा हो रही है, मौतों के बनिस्बत.

ये चित्र मेरी बडी बेटी नूपुर नें पुणें से भेजी है, एक शादी का विचित्र किंतु सत्य चित्र. सत्य यूं कि पूणें में भी हास्य बोध की कमी नहीं है.

वैसे मानसी को डेंग्यु हुआ था और मुझे वाईरल फ़्ल्यु, मगर दोनों में लक्षण एक होने के बावजूद डेंग्यु घातक है, क्योंकि उसमें खून में प्लेटलेट्स की मात्रा काफ़ी कम हो जाती है, और रक्त स्त्राव शुरु हो जाता है, जो कि जानलेवा भी हो सकता है.
इंदौर में इस समय हर १० में से ३ व्यक्ति डेंग्यु या वाईरल से पीडीत है( डेंग्यु की मोर्टेलिटी रेट ५% है जबकि स्वाईन फ़्यु का १%)

मेरे मित्र के बेटे का केस इतना बिगडा कि रातो रात मुम्बई लीलावती हस्पताल में भरती करना पडा.वहां पता चला कि चूंकि बदन दर्द की वजह से एनल्जेसिक गोली दी गयी थी उसने प्लेटलेट्स और भी खतरनाक स्तर तक कम कर दिये.बिटिया को भी गलती या अनजाने में मैने भी यही गोली दी थी, मगर मालूम होते ही स्वयं को दूर रखा, पीडा के गहरे एहसास के बावजूद.

अब पता चला है, कि भारत में अन्य शहरों में भी यही बुखार फ़ैल रहा है, जिसे मीडीया ने अधिक तवज्जो नहीं दी है, जो ठीक ही है.

भगवान ना करे, किसी को ये बुखार हो, मगर ये पोस्ट लिखने का मुख्य उद्देश्य ये ही है, कि अगर हड्डी तोड दर्द के साथ बुखार आये तो प्लेटलेट्स का ध्यान रखें , और एनल्जेसिक गोली से या अस्प्रिन से एकदम परहेज करें.....(डॊ. की सलाहनुसार)

Tuesday, September 15, 2009

हिंदी डे के ग्रेट ऒकेज़न पर आपसे रिक्वेस्ट


आपमें से कई ब्लॊगर्स जानते ही होंगे कि कल हिंदी डे था.

कल वैसे मैं ज़्यादा ही बीज़ी था , क्योंकि एक दम से मुझे भी फ़ीवर आ गया था.ऊपर से मेरे दोनों लेपटॊप मेंटेनेंस में,याने करेला और नीम चढा. मगर आई लव हिंदी, इसलिये मेरी बडी डिज़ायर थी कि हिंदी पर कुछ लिखूं.इसीलिये आज लेपटॊप आते ही ये राईट अप.वाईफ़ पहले से दो पेशंट्स से डिस्टर्ब थी और अब १०२ टेंपरेचर में मेरा पोस्ट लिखना कुछ टू मच ही हो गया.मगर मेरे हिडी सोरी हिंदी प्रेम नें मुझे मोटीवेट किया और मिसेस के ऒब्जेक्शन के बावजूद लिखने बैठ गया.

अब आप से क्या छुपाऊं.एक्च्युअली मेरा हिंदी प्रेम तो पूरे वर्ल्ड में फ़ेमस है.मैं जब भी हिंदी बोलता हूं तो ये काफ़ी ट्राई करता हूं कि सिर्फ़ हिंदी के ही वर्ड्स बोलूं, और साथ में राईटिंग में जब भी मैं कोई सेंटेंस लिखता हूं तो मेरी कोशिश होती है, कि इंग्लिश का युज़ ना करूं.

दर असल, हमें अपनी मातृ भाषा पर प्राईड होना चाहिये. यह मात्र भाषा नहीं , लेकिन मदर टंग है हमारी.

इसलिये आप सभी से मेरा रिक्वेस्ट है कि जहां तक हो सकें हिंदी को अपलिफ़्ट करें, और उसके सामने इंग्लिश को कही भी इम्पोर्टेंस ना दें. ये कोई डिफ़िकल्ट नहीं है,बडा ही ईज़ी है.बस आपके माइंड में आप डिसाईड कर लें तो ये कोई इम्पोसिबल नही हैं.

तो आप सब मुझे प्रोमिस करें कि सभी मिलकर इस ग्रेट ऒकेज़न पर याने हिंदी डे पर हम हिन्दी को और इसके कल्चर को , लिट्रेचर को सपोर्ट करें ताकि एक दिन हम गर्व के साथ कह सकें कि हिंदी है हम, हिंदी हैं हम,हिंदी हैं हम वतन हैं हिन्दोस्तां हमारा.....


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