Friday, April 10, 2009

भगवान श्री राम के जन्म दिनांक के प्रमाण..

 

पिछले अंक में राम नवमी के दिन मैने आपको श्री राम जन्म दिन की अचूक तारीख और उनसे संबंधित अन्य घटनाओं के भी दिन, वार और सन बताये थे.

कृपया यहां पढें

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राम जन्म                        -    रविवार - ४ डिसेम्बर  ७३२३  ई.स.पूर्व

राम विवाह                        -    शुक्रवार - ७ अप्रिल  ७३०७  ई.सन.पूर्व

राम -वनवास गमन          -    गुरुवार - २९ नवम्बर ७३०६ ई.सन.पूर्व

रावण वध                        -   रविवार  - १५ नवम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व

राम -अयोध्या प्रवेश          -   रविवार  - ६ डिसेम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व


हमारे कई ब्लोगर साथियों नें ये जानने की उत्कंठा व्यक्त की है, जैसे ताऊ नें ये पूछा है, कि क्या इसका कोई सोफ़्ट्वेयर है. राज भाटिया जी को सबूत भी चाहिये, और अन्य जैसे अर्श,अल्पनाजी,उडन तश्तरी,संगीताजी इस रोचक तथ्य को जानने को उत्सुक हैं.

हालांकि, इतिहास मेरा विषय कभी नही रहा है, मगर चूंकि पिताजी एक जानेमाने Indologist   और संस्कृत के विद्वान और प्राचीन संस्कृति के , साहित्य के शोधक रहे हैं, मुझे हमेशा ही इन बातों में रुचि रही है, और उनके पास आने वाले बृहद शोध प्रबंधों और मूर्धन्य विद्वानों के रिसर्च पेपर्स को खंगालने की आदत भी.

पूणे में एक ऐसे ही विद्वान है, जिनका नाम है, डॊ. पद्माकर विष्णु वर्तक.पेशे से सर्जन हैं और एक नर्सिंग होम भी चलाते है. मगर साथ ही में उन्होने प्राचीन ग्रंथों, वेदों , उपनिषदों और इतिहास पर पूरा संशोधनात्मक अध्ययन किया है.साथ में आपने अपने जैसे अन्य अभ्यासू और जिग्यासू विद्वानों के साथ वैदिक संशोधन मंडल का भी गठन किया है जिसमें इन ग्रंथों में छुपे हुए रहस्य, विग्यान संबंधी रोचक और तथ्यात्मक अध्ययन किया जा रहा है. पिताजी के साथ साथ मैं भी इस संस्था से कई सालों से जुडा हुआ हूं, और इसीलिये अपनी ओर से मैंने भी कुछ प्रयास किये है, अन्य विषयों पर भी.
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आपने अपने एक मराठी प्रबंध पुस्तक वास्तव रामायण में भगवान श्री राम के चरित्र, रावण और अन्य पात्रों और घटनाओं को इतिहास की दृष्टी से देखा है और विवेचना की है.

मेरे मित्रों, सबसे पहले हम यहां इस बात की विवेचना में पडने की आवश्यकता नहीं समझते कि क्या वास्तव में श्री राम एक ऐतिहासिक पुरुष थे या नहीं. यह बात हज़ारों वर्षों से परंपरा, साहित्य, लोकगाथायें, पुरातात्विक और एतिहासिक घटनाओं से स्वयंसिद्ध रही है. हमारी विवेचना के साथ साथ इस सत्यता की परख अपने आप भी  रेखांकित होती जायेगी.

जब हम किसी भी घटना, या काल या विवरण का वस्तुपरक अध्ययन या शोध करते है, तो हमें उसे मोटे तौर पर तीन विधाओं  के प्रमाणों की कसौटी पर परखना होता है:

1. पुरातात्विक प्रमाण
    (Archeological Evidence)
2. साहित्यिक प्रमाण 
   ( Literary Evidence)
3. ज्योतिषिय और खगोलीय प्रमाण
    ( Astrological &   Astronomical  Evidence)

1. पुरातात्विक प्रमाण :

    दुर्भाग्य से, हमें राम की जीवनी पर पुरातात्विक प्रमाण नहीं मिलते. वर्तमान अयोध्या के पास किये गये खुदाई के प्रयासों से हम लोग अधिकतम ईसा से १५०० से २००० वर्षों तक ही पहुंच पाये है. कार्बन डेटिंग के माध्यम से हमें उत्खनन से प्राप्त वस्तुओं की आयु सीमा का मान हो पाता है.

मगर , हमारे देश में और देश के बाहर भी कई ऐसे स्थान मिलते है, जहां कि लोक कथाओं मे या लोकोक्ति में राम जी के जीवन संबंधी वर्णन मिलते हैं. मगर ये सभी तथ्यात्मक प्रमाण नहीं माने जा सकते.

2. साहित्यिक प्रमाण   :

सौभाग्य से हमारा इतिहास और संस्कृति की धरोहर रहे है हमारे प्राचीन ग्रंथ , जिनमे प्रमुख हैं – चारों वेद, उपनिषद, पुराण, वाल्मिकी रामायण, वेद व्यास रचित महाभारत, और अनेक ऋषि मुनियों द्वारा लिखे गये ऐतिहासिक और आध्यात्मिक ग्रंथावलीयां आदि….

अब हम अपनी अगली कडी़ में इस प्रमाण पर विस्तृत चर्चा करेंगें. चूंकि हम बात को प्रमाणित करने का प्रामाणिक प्रयत्न कर रहें है, अतः थोडा गहराई में जाना आवश्यक हो जाता है. अगर आपमें से कोई जानकार इसमें कोई नई जानकारी देकर कोई नयी रोशनी डालना चाहे तो स्वागत ही है…….

मिलते हैं ब्रेक के बाद……
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डॊ. वर्तक आध्यात्मिक शक्ति के भी साधक हैं, जिसका उपयोग उन्होनें वैदिक विग्यान के कई अबूझ रहस्यों को सुलझाने के लिये किया है. जैसे गुरु और मंगल ग्रह सूक्ष्म देह से विचरण इत्यादि.इसके बारे में अगले किसी अंक में…

Saturday, April 4, 2009

राम नवमी - भगवान श्री राम के जन्म दिन की अचूक तारीख ,

आज राम नवमी है !!

भगवान श्री राम का जन्म दिन ---



चैत्र शुक्ल नवमी. आप सभी को याद होगा कि राम नवमी हम सभी हिंदु पंचांग से मनाते हैं , और अंग्रेज़ी केलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रिल के महिने में ये शुभ पर्व मनाया जाता है.

पहले अक्सर हमारी वार्षिक परिक्षायें होती थी इसलिये दोपहर को राम जन्म के अवसर पर परिक्षा स्थल पर होते थे. हमारे पुराने पुश्तैनी ग्घर के एकदम पडोस में एक प्राचीन राम मंदिर था, तो हम बाद में दर्षन करने जाते थे और प्रसाद के तौर पर पंजरी मिलती थी जो भगवान को बडी प्यारी है.

अब मैं अगर आपको पूंछूं कि राम जन्म की असली और अचूक तारीख कौनसी है? शायद आप कहेंगे, कि ये कैसे संभव है.

मगर मैं आपको बताता हूं कि श्री राम की जीवनी से जुडी तारीख या दिन कौन सा है?


राम जन्म - रविवार - ४ डिसेम्बर ७३२३ ई.स.पूर्व

राम विवाह - शुक्रवार - ७ अप्रिल ७३०७ ई.सन.पूर्व

राम -वनवास गमन - गुरुवार - २९ नवम्बर ७३०६ ई.सन.पूर्व

रावण वध - रविवार - १५ नवम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व

राम -अयोध्या प्रवेश - रविवार - ६ डिसेम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व


स्वाभाविक ही है कि मुझे अब आपके कई प्रष्नों का उत्तर देना है, कि ये सब किसने , कैसे, और कहां बताया है.आप ये भी पूछेंगे कि राम जन्म डिसेंबर में कैसे.

आपसे क्षमा मांगते हुए मैं अर्ज़ करना चाहूंगा कि चूंकि मैं फिर से चेन्नई और वेल्लोर के प्रवास पर निकल रहा हूं , इतनी बडी पोस्ट इतने कम समय में लिखना संभव नही. मेरा वादा कि आते ही इस पहेली का समाधान करने का पूर्ण प्रयत्न करूंगा.

क्षमा, और मिलते हैं ब्रेक के बाद....

Wednesday, April 1, 2009

गुडी पाडवा और नव वर्ष की शुभकामनायें


पिछले दिनों जब फ़िर बाहर था, तो कुछ अभिलाषायें मन की मन में ही रह गयी. चाहता था कि आप सभी अपनों को , स्वजनों को नव वर्ष की बधाईयां दे दूं. दुख ये यूं हुआ , कि हमारे देश में कॆलेंडर के नव वर्ष पर जनवरी में जो उल्ल्हास , जोश , उमंग हम सभी में , विशेषकर युवाओं में रहता है, वह हिंदुओं के नव वर्ष, मराठीयों के गुडी पाडवा पर, सिंधीयों के चेटिचंद उत्सव पर हमारा उत्साह क्यों नहीं दिखता.

वैसे सारे महाराष्ट्र में गुडी पाडवा बडी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, इसलिये यहां हर जगह छुट्टी होती है, जबकि मेरे बेटे अमोघ, जो यहां के प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल डेली कॊलेज में पढता है, नव वर्ष पर छुट्टी नही थी.

चलो , देर आयद दुरुस्त आयद, आप सभी को .साईड बार में अवश्य लगा दी थी मगर दिल है कि मान नही रहा था, इसलिये फ़िर से रूबरू दे दी!!!

ये चित्र हमारे घर में स्थापित गुडी का है, जिसमें कि जैसे आप सब को पता ही होगा , एक दंड होता है, जिसपर गुडी के प्रतीक के रूप में एक चांदी के लोटे को उल्टा करके साडी पहनाई जाती है. एक मंगलसूत्र भी होता है, सौभाग्य की निशानी,और नीम के कुछ पत्ते.


आपने देखा ही होगा कि ये जो गुडी है, एक पेडस्टल पर बाकायदा फ़िट की हुई है, अन्यथा , अधिकतर सभी घरों में बांस का दंडा ले कर उस पर साडी ’मिरे’ कर के याने कि करीने से घडी कर के बांधी जाती है.मगर जैसा कि हर जगह इन्स्टॆंट चीज़ो का ज़माना आ गया है, मुम्बई में पिछले कुछ सालों पहले एक उद्यमी युवा महिला नें कुछ नया करने की चाह में अलग अलग साईज़ में गुडीयों की निर्मिती की , जिसके कारण मुंबई जैसे शहर में जगह और समय के अभाव में ये परिकल्पना या कंसेप्ट लोगोंने हाथो हाथ उठाया और उस महिला का नाम काफ़ी मशहूर भी हुआ. संयोग से वह महिला, मेरे पत्नी डॊ, नेहा की सगी मौसेरी बहन ज्योति थी. और थी इसलिये कि दुर्भाग्य से पिछले साल युवावस्था में कॆन्सर से उसका निधन हो गया.

हमारे यहां आज श्रीखंड बनता है, मगर हमें सुबह सुबह परंपरा के अनुसार कडवे नीम की कोमल पत्तीयों की चटणी भी खानी पडती है, जिसे हम छुटपन में बडे मुंह बनाकर,रोते कलपते खाते थे( कभी कभी नज़र बचाकर थूकने का भी प्रयत्न करते थे, मगर एक बार पकडे जाने पर दादाजी की मार पडी थी)

आज हम बडे हो गये हैं(ऐसा हमें लगता है),नही खायेंगे तो कोई टोकने वाला नही है, पिताजी के अलावा. उन्होने पूरे जीवन में हम पर कभी हाथ नही उठाया, तो अपने पोतों को क्या मारेंगे. ये पीढी के सरकने का एक संकेत है.
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