पिछले अंक में राम नवमी के दिन मैने आपको श्री राम जन्म दिन की अचूक तारीख और उनसे संबंधित अन्य घटनाओं के भी दिन, वार और सन बताये थे. राम विवाह - शुक्रवार - ७ अप्रिल ७३०७ ई.सन.पूर्व राम -वनवास गमन - गुरुवार - २९ नवम्बर ७३०६ ई.सन.पूर्व रावण वध - रविवार - १५ नवम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व राम -अयोध्या प्रवेश - रविवार - ६ डिसेम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व |
Friday, April 10, 2009
भगवान श्री राम के जन्म दिनांक के प्रमाण..
Saturday, April 4, 2009
राम नवमी - भगवान श्री राम के जन्म दिन की अचूक तारीख ,
आज राम नवमी है !!
भगवान श्री राम का जन्म दिन ---
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चैत्र शुक्ल नवमी. आप सभी को याद होगा कि राम नवमी हम सभी हिंदु पंचांग से मनाते हैं , और अंग्रेज़ी केलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रिल के महिने में ये शुभ पर्व मनाया जाता है.
पहले अक्सर हमारी वार्षिक परिक्षायें होती थी इसलिये दोपहर को राम जन्म के अवसर पर परिक्षा स्थल पर होते थे. हमारे पुराने पुश्तैनी ग्घर के एकदम पडोस में एक प्राचीन राम मंदिर था, तो हम बाद में दर्षन करने जाते थे और प्रसाद के तौर पर पंजरी मिलती थी जो भगवान को बडी प्यारी है.
अब मैं अगर आपको पूंछूं कि राम जन्म की असली और अचूक तारीख कौनसी है? शायद आप कहेंगे, कि ये कैसे संभव है.
मगर मैं आपको बताता हूं कि श्री राम की जीवनी से जुडी तारीख या दिन कौन सा है?
राम जन्म - रविवार - ४ डिसेम्बर ७३२३ ई.स.पूर्व
राम विवाह - शुक्रवार - ७ अप्रिल ७३०७ ई.सन.पूर्व
राम -वनवास गमन - गुरुवार - २९ नवम्बर ७३०६ ई.सन.पूर्व
रावण वध - रविवार - १५ नवम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व
राम -अयोध्या प्रवेश - रविवार - ६ डिसेम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व
स्वाभाविक ही है कि मुझे अब आपके कई प्रष्नों का उत्तर देना है, कि ये सब किसने , कैसे, और कहां बताया है.आप ये भी पूछेंगे कि राम जन्म डिसेंबर में कैसे.
आपसे क्षमा मांगते हुए मैं अर्ज़ करना चाहूंगा कि चूंकि मैं फिर से चेन्नई और वेल्लोर के प्रवास पर निकल रहा हूं , इतनी बडी पोस्ट इतने कम समय में लिखना संभव नही. मेरा वादा कि आते ही इस पहेली का समाधान करने का पूर्ण प्रयत्न करूंगा.
क्षमा, और मिलते हैं ब्रेक के बाद....
भगवान श्री राम का जन्म दिन ---
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चैत्र शुक्ल नवमी. आप सभी को याद होगा कि राम नवमी हम सभी हिंदु पंचांग से मनाते हैं , और अंग्रेज़ी केलेंडर के अनुसार मार्च से अप्रिल के महिने में ये शुभ पर्व मनाया जाता है.
पहले अक्सर हमारी वार्षिक परिक्षायें होती थी इसलिये दोपहर को राम जन्म के अवसर पर परिक्षा स्थल पर होते थे. हमारे पुराने पुश्तैनी ग्घर के एकदम पडोस में एक प्राचीन राम मंदिर था, तो हम बाद में दर्षन करने जाते थे और प्रसाद के तौर पर पंजरी मिलती थी जो भगवान को बडी प्यारी है.
अब मैं अगर आपको पूंछूं कि राम जन्म की असली और अचूक तारीख कौनसी है? शायद आप कहेंगे, कि ये कैसे संभव है.
मगर मैं आपको बताता हूं कि श्री राम की जीवनी से जुडी तारीख या दिन कौन सा है?
राम जन्म - रविवार - ४ डिसेम्बर ७३२३ ई.स.पूर्व
राम विवाह - शुक्रवार - ७ अप्रिल ७३०७ ई.सन.पूर्व
राम -वनवास गमन - गुरुवार - २९ नवम्बर ७३०६ ई.सन.पूर्व
रावण वध - रविवार - १५ नवम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व
राम -अयोध्या प्रवेश - रविवार - ६ डिसेम्बर ७२९२ ई.सन.पूर्व
स्वाभाविक ही है कि मुझे अब आपके कई प्रष्नों का उत्तर देना है, कि ये सब किसने , कैसे, और कहां बताया है.आप ये भी पूछेंगे कि राम जन्म डिसेंबर में कैसे.
आपसे क्षमा मांगते हुए मैं अर्ज़ करना चाहूंगा कि चूंकि मैं फिर से चेन्नई और वेल्लोर के प्रवास पर निकल रहा हूं , इतनी बडी पोस्ट इतने कम समय में लिखना संभव नही. मेरा वादा कि आते ही इस पहेली का समाधान करने का पूर्ण प्रयत्न करूंगा.
क्षमा, और मिलते हैं ब्रेक के बाद....
Wednesday, April 1, 2009
गुडी पाडवा और नव वर्ष की शुभकामनायें
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पिछले दिनों जब फ़िर बाहर था, तो कुछ अभिलाषायें मन की मन में ही रह गयी. चाहता था कि आप सभी अपनों को , स्वजनों को नव वर्ष की बधाईयां दे दूं. दुख ये यूं हुआ , कि हमारे देश में कॆलेंडर के नव वर्ष पर जनवरी में जो उल्ल्हास , जोश , उमंग हम सभी में , विशेषकर युवाओं में रहता है, वह हिंदुओं के नव वर्ष, मराठीयों के गुडी पाडवा पर, सिंधीयों के चेटिचंद उत्सव पर हमारा उत्साह क्यों नहीं दिखता.
वैसे सारे महाराष्ट्र में गुडी पाडवा बडी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है, इसलिये यहां हर जगह छुट्टी होती है, जबकि मेरे बेटे अमोघ, जो यहां के प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूल डेली कॊलेज में पढता है, नव वर्ष पर छुट्टी नही थी.
चलो , देर आयद दुरुस्त आयद, आप सभी को .साईड बार में अवश्य लगा दी थी मगर दिल है कि मान नही रहा था, इसलिये फ़िर से रूबरू दे दी!!!
ये चित्र हमारे घर में स्थापित गुडी का है, जिसमें कि जैसे आप सब को पता ही होगा , एक दंड होता है, जिसपर गुडी के प्रतीक के रूप में एक चांदी के लोटे को उल्टा करके साडी पहनाई जाती है. एक मंगलसूत्र भी होता है, सौभाग्य की निशानी,और नीम के कुछ पत्ते.
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आपने देखा ही होगा कि ये जो गुडी है, एक पेडस्टल पर बाकायदा फ़िट की हुई है, अन्यथा , अधिकतर सभी घरों में बांस का दंडा ले कर उस पर साडी ’मिरे’ कर के याने कि करीने से घडी कर के बांधी जाती है.मगर जैसा कि हर जगह इन्स्टॆंट चीज़ो का ज़माना आ गया है, मुम्बई में पिछले कुछ सालों पहले एक उद्यमी युवा महिला नें कुछ नया करने की चाह में अलग अलग साईज़ में गुडीयों की निर्मिती की , जिसके कारण मुंबई जैसे शहर में जगह और समय के अभाव में ये परिकल्पना या कंसेप्ट लोगोंने हाथो हाथ उठाया और उस महिला का नाम काफ़ी मशहूर भी हुआ. संयोग से वह महिला, मेरे पत्नी डॊ, नेहा की सगी मौसेरी बहन ज्योति थी. और थी इसलिये कि दुर्भाग्य से पिछले साल युवावस्था में कॆन्सर से उसका निधन हो गया.
हमारे यहां आज श्रीखंड बनता है, मगर हमें सुबह सुबह परंपरा के अनुसार कडवे नीम की कोमल पत्तीयों की चटणी भी खानी पडती है, जिसे हम छुटपन में बडे मुंह बनाकर,रोते कलपते खाते थे( कभी कभी नज़र बचाकर थूकने का भी प्रयत्न करते थे, मगर एक बार पकडे जाने पर दादाजी की मार पडी थी)
आज हम बडे हो गये हैं(ऐसा हमें लगता है),नही खायेंगे तो कोई टोकने वाला नही है, पिताजी के अलावा. उन्होने पूरे जीवन में हम पर कभी हाथ नही उठाया, तो अपने पोतों को क्या मारेंगे. ये पीढी के सरकने का एक संकेत है.
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