चलो, वहां पाकिस्तान में भी ३/३ हो गया. हमारे ज़ख्म २६/११ के अभी ताज़े हैं, और लाहौर के ज़ख्मों से कुछ को सुकून मिला होगा तो कोई ये सोच रहा होगा, कि क्या ये कभी थमेगा? कोई कह रहा है श्रीलंका की क्रिकेट टीम को - और जाओ, कहा था तो माने नहीं, अब भुगतो.
वैसे ,श्री लंका की टीम की क्या गलती. आपने देखा नहीं , पैसे के लिये आदमी क्या क्या नहीं करता.कितने हैं जो देशसेवा(?) करने को उद्युत रहते है.(चुनाव पास है). ये जो सेना में हैं उन्हे जान की क्या परवाह नहीं? चलो , देशभक्ति भी तो कोई चीज़ है, मगर उन भाडे के सैनिकों का क्या, जिनका काम ही है युद्ध करना, पैसे लेकर. कसाब को आपने सुना नही कबूल करते हुए कि ये सब इसलिये मारा कि देड लाख रुपये मिल रहे थे?क्या पुलिस, या जोखिम वाली नौकरी आदमी थ्रिल के लिये कर रहा है? The whole thing is that सबसे बडा रुपैय्या !!
वैसे ये बात तो शर्मनाक है, कि जिस सिक्युरिटी की बातें पाकिस्तान को देनी थी वह नाकाम रहा.मगर ,हम कतई मुतमयीन ना हों इस बात पर कि क्या बेवकूफ़ है वे, और हमारी सिक्युरिटी बडी पुख्ता है.
भारत का भी हाल यही है जनाब. किसी को कोई ज़ेड सिक्युरिटी नही.( २० नेताओं को छोडकर,जो खत्म भी हों तो देश को कोइ फ़रक नहीं पडेगा)
अभी अभी नवंबर में इंग्लॆंड की टीम आयी थी इन्दौर , एक अंतरराष्ट्रीय मॆच खेलने. एक दिन पहले दोपहर को प्रेक्टीस कर के भारतीय टीम स्टेडियम से होटल जा रही थी तो मेरे सामने एक मोड पर उनकी बस को अचानक ब्रेक मारकर रुकते देखा, तो पाया कि एक साईकल उसके नीचे करीब करीब आ ही गयी थी, और संयोग से साईकलवाला बच गया था ,और खडा खडा कांप रहा था. दो हवलदारों नें हमारे सब के सामने आव देखा ना ताव , जो टूट पडे उसपर गाली और लातों की बौछार करते हुए. वो तो अच्छा हुआ कि ईशांत शर्मा नें ये देख कर बस से उतरकर उसको बचाया, और साईकल उठा कर उसे दी. (नया है, वर्ना युवराज की तरह नाक चढा कर बैठा रहता.)
बात यहां ये है, कि सब मिला कर ज़ेड सिक्युरिटी का क्या हुआ? ये वही दिन थे जब आतंकवादी सचिन और अन्य खिलाडीयों को अगुवा करने की मंशा में थे.पायलट कार तो कहीं दिखी ही नही.या तो आगे निकल गयी होगी या अंग्रेज़ टीम को सम्हाल रही होगी.
तभी कल जब जनाब मुशर्रफ़ को India Today के Annual Conclave में हमारे सभी संभ्रांत बुद्धीजीवीयों के बीच में सभी सीधे, उलटे और तीखे सवालों का जवाब देते हुए देखा सुना (टीवी पर), तो हर चीज़ पाकिस्तान के नज़रिये से समझने का मौका मिला.
मुशर्रफ़ नें माना कि अब यहां ये कतई ज़रूरी नहीं है हम पुरानी बातों को पकड कर बैठ जायें और रस्सी को सांप समझ कर पीटते रहे. इस प्रायद्वीप में अमन की बहाली के लिये दोनों देशों को मिलकर कदम उठान पडेंगे. उन्होने ये आशा जगाई कि जैसा कि उन्होने बडी शिद्दत और ईमानदारी के साथ भारत और पाकिस्तान के बीच के कश्मीर मसले को और दूसरे मसाईलों को सुलझा की पूरी कोशिश की उसकी आज ज़रूरत है. दाऊद की बात को कन्नी काट कर उन्होने ये बात बडे साफ़ लहजों में कही कि पाकिस्तान तो victim है पश्चिम के सरमायेदारों की सियासत का जिसकी बेवारिस औलाद है अलकायदा और तालिबान और उनके यहां सभी, याने पाक की सरकार , फ़ौज और ISI उससे निपटने में लगी है, और हम सब यहां भारत में उनके विरुद्ध विषवमन कर रहें है.
वैसे, उनकी इस दलील को किसी नें माना नहीं पर आखरी में हमारे पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल मलिक की बात सोलह आने अचूक और मर्म तक पहुंची हुई थी और जिसने मियां मुशर्रफ़ को भी बेजवाब कर दिया. वह ये, कि भारत भी यही चाहेगा कि पाकिस्तान एक लोकतंत्र की सरकार के Politically Stable Governance से चले, आतंकवाद और अलगाववाद को उखाडनें में उनको अगर परेशानी आ रही है, तो हमें कहें , हम उनको वहां आ कर नेस्तनाबूत कर देंगे.
क्या खूब बात है. अगर hypocracy में नहीं है हमारी और पाकिस्तान की सरकार , तो क्या ही मज़ेदार समां होगा.
महिलाओं की स्थिती पर मुशर्रफ़ नें ये माना कि वहां हालात सही नहीं है, मगर क्या भारत में सही है?
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आज ही है. मेरे ब्लोग पर मैने कल से लिख रखा है, कि हर मां , बहन और पुत्री को सलाम.इसमें जीवन संगिनी रह गई.
फ़िर मेरे समझ में लग गया कि नारी इस बारे में क्या सोच रही है. आज दिन भर से अलग अलग जगह से एक बात जो सभी नारीयां शायद चाहती है(य़ा जो नारीयां इतने प्रगतीशील माहौल से आयी है, जो ऐसा बयान देने की स्थिती में है)
आज नारी यह चाहती है, कि उसे सिर्फ़ नारी समझ कर ही मान्यता मिले, एक मां,पत्नी, बहन या बेटी के रूप में नहीं.
बात में दम है. वह एक महिला है सर्व प्रथम , बाद में ये बाकी सब रोल या किरदार. मगर फ़िर इन किरदारों से क्या दुश्मनी. भारत में जिस तरह के संस्कारों और परंपराओं का इतिहास है, और जो संस्कृति आज यहां है, पाश्चात्य देशों के संदर्भ में , तो नारी के यही रूपों ने तो आज की सामाजिक व्यवस्था मजबूत की है, सिर्फ़ महिला के रूप में नहीं. ये रूप है तभी तो नारी सत्यम, शिवम, सुन्दरम है.
चलो इस बात को विस्तार से अगले कडी में बहस करे> आप भी क्या कहना चाहेंगे? जरा खुल के कहें.
संयोग से पिछले कुछ दिनों में मेरे व्यवसायिक कार्य में एक ऐसा अनुभव मुझे आ रहा है, जो मेरी इस बात से बाबस्ता है. अगली कडी तक , जो plot या कथानक रच रहा है, उसका समापन भी हो जायेगा.
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7 comments:
आप के लेख के पहले भाग में खिलाडियों की सुरक्षा का मुद्दा खूब सही उठाया है..और जिस घटना का विवरण दिया है वह भी सोचने पर मजबूर करताहै कि शयद जब तक कहीं कुछ न हो जाये तब तक स्थिति को गंभीरता से लिया नहीं जाता.दूसरी और ईशांत शर्मा कि उस दुर्घटना पर प्रतिक्रिया जानकर अच्छा लगा कि समझदार लोग भी हैं..celebrities में !
अगले भाग में आप ने महिलाओं की स्थिति के बारे में जिक्र किया है.महिलाओं कि स्थिति लगभग सभी जगह एक सी ही है.लेकिन भारत में यह बहुत ही बेहतर है..भारतीय कानून में भी महिलाओं को बहुत सुरक्षा दी गयी है...'टीवी प्रोग्राम 'आप की कचहरी 'किरण बेदी जी होस्ट करती हैं उस से काफी इन धाराओं आदिका पता चलता है जो महिलाओं को favour करती हैं.जरुरत सिर्फ जागरूकता लाने की है.
महिला दिवस पर सभी को बधाई और शुभकामनायें..
bahut hi sateek vicharaniy post. abhaar.
समयचक्र: रंगीन चिठ्ठी चर्चा : सिर्फ होली के सन्दर्भ में तरह तरह की रंगीन गुलाल से भरपूर चिठ्ठे
अल्पनाजी, आपका आभार.
मैने एक विचार रखा है इस पर एक सवाल है.आपसे ये निवेदन है कि आपके विचारों से अवगत करायें.
आपको होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और घणी रामराम.
दिलीप जी नमस्कार,
आप जैसा श्रेष्ठ गुनी और उत्तम पुरुष मेरे ब्लॉग पे आये मेरे लिए नवाजिश की तरह है ...आपको मेरी गज़लें और गीत में गेयता नज़र आती है ये तो करम है आपका ,.. मूलतः मैं ग़ज़ल ये गीत को गुनगुनाते हुए ही लिखता हूँ.. फिर इसे बहर में लाया जाता है.. अगर मेरी कोई ग़ज़ल या गीत को आप स्वर दे तो मेरे लिए सौभाग्य की तरह है... मैं चाहूँगा के आप ऐसा करें...
हाँ एक गुजारिश है आपसेके वो ब्लॉग मेरा डुप्लीकेट है उसके निचे वाला असली है उसपे जाएँ कुछ नई रचनाएँ आपका बेशब्री से इंतज़ार कर रही है ...
आपका प्यार और आशीर्वाद चाहूँगा...
आपका
अर्श
आपने सही कहा
सभी धर्म प्रेमियो को मेरी ओर से शिवरात्री की हार्दिक शुभकामनाये _जय महाकाल
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