Monday, February 2, 2009

पद्मश्री की लिस्ट - ताऊ और उडन तश्तरी


जबसे सरकार ने पद्मश्री की लिस्ट लाई है बाज़ार में ,मेरा जीना दुश्वार हो गया है.

क्षमा करें , मैने बाज़ार लिखा तो किसी को आपत्ती नही होनी चाहिये. अब तो ये बाज़ार ही है, और ये पद्म अलंकरण भी एक कोमोडीटी ही हो गई है, तिजारत के लिये.याने बार्टर सिस्टम मेरे मित्रों. इस हाथ दे , उस हाथ ले.

मगर ये मत कहिये कि चूंकि मुझे नहीं मिला है तो मैं चिढ़ कर ऐसा कह रहा हूं.बात सिद्धांत की है.

वैसे ये बात अलग है कि मैं चिढा़ हुआ तो हूं ही.ये तो कोई बात नहीं हुई कि ९३ लोगों को रेवडी़ बांट दी और मैं रह गया.क्या कमी रह गई थी उनमें और मुझमें?

चलो देखते हैं.

कुछ समाजसेवी है इनमें. हालांकि, सत्यम के राजू का नाम तो भारत रत्न के लिये आया ही था मगर मेरी कोम्पीटीशन तो पद्मश्री के लिये है.

तो भाई साहब मैं भी तो लायन्स क्लब के झंडे तले कई बार अपने पलासिया चौक पर २ अक्टूबर को चंदा इकठ्ठा करने खडा हुआ हूं.चार साल पहले दृष्टीहीन संस्था में ब्रेल की किताबें और पांच बार विकलांगों को ट्राईसिकल बांट चुका हूं .
( पूछ लिजिये राम शरण से जिसे पिछले पांच साल से बांट रहा हूं).

दूसरी बात ये कि फ़िल्मों से जुडा हुआ होने की भी शर्त पूरी करता हूं. पिछले कई सालों से फ़िल्मों का उपभोक्ता रहा हूं जनाब. ये हेलन ,ऐश्वर्या राय और अक्षय कुमार जो माल परोस रहे हैं , उसे मैं ही तो खरीद रहा हूं.तो ऐसा क्या कर दिया कि मैं कहीं कम पड गया? बेचने वालों को इनाम जिनने पैसा बनाया, और खरीदने वाले को ठेंगा जिसका पैसा व्यर्थ गया?

और हां- कुमार सानु, और उदित नारायण को मिला है तो ठीक, मगर कोई बतायेगा कि सुमन कल्याणपुर को भी कोई पद्म पुरस्कार मिला है?

चलो, खिलाडीयों की ओर भी चल के देख लेते है. शायद आपको मालूम नही है कि मैं भी अंतरराष्ट्रीय स्तर का खिलाडी हूं गुल्ली दंडे में. हमारे शहर के करीब के कस्बें कंपेल में आयोजित अखिल विश्व गुल्ली दंडा प्रतियोगिता में मैं दूसरा रहा हूं .
( अब उसमें कोई अंतरराष्ट्रीय खिलाडी नहीं पहुंचा तो मैं क्या करूं?)

हां , ये बात तो कबूल है, कि मेरा किसी भी राजनैतिक पार्टी से सरोकार नही रहा है.मगर ये पक्का कि नैतिक मूल्यों की नैतिकता में मैं इन सबसे अव्वल हूं. नहीं चलेगा ये क्वालिफ़िकेशन?

राज की बात दरअसल ये है, कि मुझे पद्मश्री देने के लिये कोई प्रायोजक नहीं है, नहीं तो ऐसे वैसों को दिया है, मुझको भी तू लिफ़्ट करा देता, हे ईश्वर.

श्रीमती जी को जब पता चला तो वह हंस पडी़. मुझे सांत्वना देने के लिये उसनें कहा- कोई बात नहीं, कई लोग छूट गये है, जैसे कि विजेन्दर और सुशील कुमार आदि, तो क्यों बुरा मानते हो.

बात में दम है, बंदो मे भले ही ना हो.मात्र ग्यारह देशों से मात्र खेलने वाली आज की क्रिकेट टीम में पांच खिलाडी़ पद्म पुरस्कार से नवाजे गये है, मगर विश्व स्तर पर इतने सारे देशों के खिलाडीयों को मात कर ऒलेंपिक मेड़ल प्राप्त करने वाले इन खिलाडीयों को सरकार भूल गयी?

मुंबई के सी एस टी स्टेशन पर शौर्य पराक्रम दिखाने वाले पोलिस कॊंस्टेबल शशांक शिन्दे को तो अशोक चक्र तक नहीं मिला.कसाब नें नहीं बताया होता तो हमें पता ही नहीं चलता कि वीरता से उसका सामना करने वाले अशोक शिन्दे की रक्तरंजीत लाश रात भर स्टेशन पर पडी़ रही तो इसके पीछे शूरता की क्या बेमिसाल कहानी थी. ये शरम की ही तो बात है , कि शिंदे की विधवा और बेटी को इस अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना पडा़ तो हम जागे.वैसे २६/११ के मुंबई हमले में शहीद हुए सभी अधिकारीयों और सिपाहियों को अशोक चक्र की जगह वीर चक्र मिलना चाहिये था क्योंकि क्या पाकिस्तान ने भारत पर किया वह अघोषित युद्ध नहीं था?बात वहीं आ कर ठहरती है, कि प्रायोजक नही मिले उन्हे.

हां , ये ठीक है. मैं अकेला ही तो नहीं हूं जिसे पद्मश्री नहीं मिली है.आप भी परेशान नहीं हों अगर आपको भी नहीं मिली हो तो. अगले बंदर बांट में देख लेंगे.तब तक प्रायोजक ढूंढ़ते है.

ब्रेकिन्ग न्यूज़ !!!

अभी अभी पता चला है कि सरकार कि उस लिस्ट में हमारे अपने ताऊ के नाम की शिफ़ारीश की गई थी, मगर ताऊ के चरित्र-माफ़ किजीये, कलम फ़िसल गई - व्यक्तित्व के बारे में संशय की स्थिती अभी तक बनी हुई होने की वजह से अंत में उन्हे पद्मश्री से हाथ धोना पडा़. ( वैसे भी हमारे ब्लोगर समाज के है भी कितने वोट?)

कल परसों तक न्यूज़ चेनल की जांच पडताल से कई अन्य बातें भी सामने आंयीं है जिसका खुलासा भी अभी किया गया है. पता चला है, कि ताऊ को ढूंढने पहुंची सरकारी टीम इन्दौर में ताऊ के ठिकाने का अभी तक पता नहीं लगा पा रही है.खोजी कुत्ते पानवाले की दुकान से वापिस लौट गये है. पानवाले से पूछताछ जारी है, और खबर मिलते ही इस चेनल पर सबसे पहले ये एक्स्ल्युसिव खबर दी जायेगी.

खुदा का शुक्र है कि उन्हे मेरे बारे में पता नहीं है, कि मैं भी इन्दोरी ब्लोगर हूं,नहीं तो मेरे पीछे पड़ जाते. मगर क्या बताऊं , सच्ची कहता हूं कि मेरे साथ साथ पानवाला भी अंधेरे में है !!

इसी बीच सरकार नें अमेरीका में ओबामा से ये गुजारीश की थी कि वे ताऊ का पता लगाने में उनकी मदद करें. खबर ये है, कि ओसामा बिन लादेन को ढूंढने गई टीम को भेजने के लिये फ़ाईल तो चलाई गई थी, मगर सुना है वह टीम अभी जबलपुर में है ! यहां पिछले दिनों उडन तश्तरी के दिखाई देने की खबर थी, जहां परग्रह से आये हमारे कुछ एलीयन मेहमान बडकुल की जलेबी की दुकान पर देखे गये थे.

क्या वे जलेबी के सेम्पल ले जाकर परग्रह पर दुकान खोलने की योजना बना रहे थे?

या वे हमारे ही पूर्वज हैं जिन्हे शताब्दी पहले परग्रही यहां से उठा ले गये थे?

या ये अमेरीका के अंडरकवर खूफ़िया टीम है जो ओसामा के लिये मध्य प्रदेश आयी है?

या फ़िर ताऊ को खोजने?

ये भंडा़फ़ोड हमारे अगले कार्यक्रम में देखें, कृपया कहीं नहीं जायें, मिलते है ब्रेक के बाद....
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