२. साहित्यिक प्रमाण : भारत में किसी ऐतिहासिक महापुरुष या साहित्य कृति का सही काल निर्णय करना बडी ही कठिण समस्या है. वह इसलिये कि बडे़ बडे़ ग्रंथ, ऋचायें, महागाथायें, और पोथियां हमारे स्वयंसिद्ध ऋषियों नें लिख कर अगली पीढी को सौंपी है, उसमें उन्होने कभी भी ये गर्वोक्ति नही की हैं कि फ़लां काव्य मैने लिखा है. परमेश्वर द्वारा प्रदत्त कर्तव्य मानकर किये गये कार्य की भावना के कारण हमें वेदों , उपनिषदों तक के लेखकों के नाम नहीं मिलते. इसलिये ही हमें ये देखना पडता हैं, कि प्रस्तुत विषय पर किस ग्रंथ में कहां क्या क्या संदर्भ है, जिससे बेहद हद तक अनुमान की बजाय निष्चित किया जा सकता है. इस बात में संदेह नहीं कि वाल्मिकी रामायण वह ग्रंथ है, जो कि महाकवि ऋषि वाल्मिकी नें लिखा है जो स्वयं श्री राम के तत्कालीन थे, और उनके जीवन काल में ही यह सभी घटनाक्रम घटा था. अतः , इस महा गाथा को एक प्रामाणिक या Authentic सूत्र माना जा सकता हैं. अतः , जहां जहां भी इस ग्रंथ का, या वाल्मिकी ऋषि का संदर्भ आयेगा और उसी तरह श्री राम का या उनसे जुडी घटनाओं का या पात्रों का ज़िक्र कहीं आयेगा तो निष्चित ही रामायण की घटनाओं की तारीख नक्की होती चली जायेगी. श्री राम एक काल्पनिक पात्र नही है, जैसे कि सुपरमेन, मिकी माऊस, रॊबिन हूड जो किसी Fiction या कपोल कल्पित उपन्यास का मात्र एक नायक हो, वरन एक ऐतिहासिक पुरुष है जैसे कि येशु ख्रिस्त, हज़रत मोहम्मद पैगंबर , महात्मा बुद्ध एवम महावीर स्वामी .इसका सबसे महत्वपूर्ण और ठोस तर्क यह है,इतने हज़ारों साल से सैंकडो ग्रंथों में, महाकाव्यों मे, साहित्यिक और ऐतिहासिक रचनाओं में श्री राम का उल्लेख और संदर्भ आता है, जिसके समकक्ष किसी और काल्पनिक पात्र का नाम हमें नही दिखता. अब हम संदर्भों को तलाशतें हैं इस्वी सन के आरंभ के आसपास से, और फ़िर पीछी अतीत में जायेंगे- ईस्वी सन से पूर्व ५५० वर्ष : १. सबसे पहले महाकवि कालिदास की रचना रघुवंश में हम श्री राम के कुलपुरुष एवम दादा अयोध्या नरेश रघु के जीवन पर वृत्तांत पाते हैं. कालिदास का जीवन काल ईसा पूर्व पहला या दूसरा शतक ठहराया जाता है(इसके बारे में मेरे पूज्य पिता डॊ. प्र. ना. कवठेकर नें अभी एक पुरातात्विक प्रमाण अपनी पुस्तक – कालिदास , व्यक्ति और अभिव्यक्ति मॆं प्रकाषित किया है). २. उसीके आसपास भास द्वारा लिखित दो संस्कृत नाटक हम पाते हैं, जो रामायण की घटनाओं पर ही लिखे गये है.विद्वानों नें भास का काल ईस्वी सन पूर्व ५०० वर्ष के आसपास निष्चित किया है. भास के किसी भी साहित्य कृति में बुद्ध का ज़िक्र नही है, इसलिये ये स्वप्रमाणित है, कि श्री राम और रामायण बुद्ध और महावीर से पुराने हैं. (जैन धार्मिक ग्रंथों में भी तीर्थंकरों एक संदर्भ मॆं कहीं श्री राम का उल्लेख पाया गया है. हालांकि धार्मिक ग्रंथों को पूर्णतयः प्रामाणिक नही माना जा सकता, मगर ये तो तय है, कि उल्लेल्ख तो है ही.) ३.भास से समकक्ष है राजा शूद्रक जिसनें अपनें संस्कृत नाटक म्रूच्छ कटिकम में हनुमान का उल्लेख किया है. वैसे ही कवि कल्हण के राज तरंगिनी इस महाकाव्य में काश्मीर के राजा दामोदर के संदर्भ में रामायण का उल्लेख है.इस राजा का काल खंड भी लगभग यही है. कात्यायन के ग्रण्थ कर्म प्रदीप और कात्यायन स्मृति में ,कामंदकीय नीतिसार , शुक्र नीति आदि में भी राम और सीतात्याग का उल्लेख है. ४. अनेक बौद्ध, जैन, ग्रीक साहित्य में कोशल देश की राजधानी ’ श्रावस्ती’ का वर्णन है, जिसे स्वयम श्री राम नें लव को स्थपित कर दी थी. ५. पाणिनी और पतंजली के महाभाष्य में रामायण का उल्लेख है जिसका काल लगभग ईसा से लगभग ८०० - ११०० साल का है. ईस्वी पूर्व १५०० वर्ष के पहले : १. जैमिनि ऋषि के अश्वमेध ग्रंथ में और गर्गसंहिता , विष्णु पुराण ,पद्मपुराण , ब्रम्ह पुराण आदि में भी श्री राम का उल्लेख है. २. रामायण में सिंहल द्वीप का कहीं वर्णन नही है, जब कि बुद्ध के जन्म के समय एक राजा हुआ था, विजय नाम का, जिसनें अपने पिता सिंहल के नाम से लंका का पुनर्नामकरण किया था. सिलोन या श्री लंका में महाराजाबलि नामक बौद्ध ग्रंथ में स्पष्ट उल्लेख है के बुद्ध जन्म के पूर्व इस द्वीप का नाम लंका था और बुद्ध निर्वाण के १८४५ वर्ष पहले रावण युद्ध हुआ था. इस गणित से रामायण का समय आता है - ईसा पूर्व २३८८ वर्ष . ३. सिंधु संस्कृति के (ई.पू.२३५० लगभग) काल में शहरों के चारो ओर सुरक्षा तटबंदी और खंदक हुआ करती थी . रामायण में भी अयोध्या और लंका की सुरक्षा का ऐसाही वर्णन है. ४. इससे भी पुराना ग्रंथ है तैत्तिरीय ब्राम्हण, जिसमें वाल्मिकी का उल्लेख है. लोकमान्य तिलक और केतकर नें इसका कालखंड माना है ईसा पूर्व ४६५० वर्ष. ५. महाभारत उपरोक्त सभी ग्रंथोंसे पुराना है, और इसका कालखंड अनेक विद्वानों नें अलग अलग माना है. वैदिक विग्यान संशोधन मंडल नें इसका काल माना है, ईसा से ५५६१ साल पूर्व. इसमें भी रामायण के कई पात्रों का ज़िक्र है, और कथाओं में रामायण की घटनाओं का उल्लेख हर जगह पाया जाता है.मगर रामायण में कहीं भी महाभारत के किसी भी घटनाक्रम का उल्लेख नही है. महाभारत के समय रामायण बडा ही लोकप्रिय था क्योंकि अधिकतर पात्रॊं के जुबानी रामायण की घटनायें और पात्रोंका उल्लेख है. (इसकी बृहद चर्चा यहां नहीं करेंगे, मगर किसीको अगर रुचि हो तो कृपया बतायॆं.) कभी अलग पोस्ट मॆं महाभारत के काल समय की विवेचना अलग से करूंगा . (श्री कृष्ण जन्म दिनांक- ? !!!) ६. रामायण मॆं चारों वेदों का वर्णन है. मगर ऋग्वेद में एक जगह इक्वाषु वंषी राम का जिक्र है.संभवतः ये हमारे ही राम हो सकते है. तिलक जी नें ऋग्वेद का काल ई.पू. ६००० वर्ष लगभग बताया है. ७. देवता – रामायण में ऋग्वेदकालीन देवता है, और महाभारत से अलग हैं. रामायणमें इंद्र का अधिक उल्लेख है,मगर महाभारत में नही के बराबर.महाभारत में गणपति है, मगर रामायणमें नहीं.(कार्तिकेय की पूजा का जिक्र है). महाभारत में स्त्रीयां होम हवन नहीं करती थी मगर रामायण में ये प्रथा थी . वेदों में और रामायण में स्त्रीयों का युद्ध पर जाने का जिक्र है, मगर महाभारतमें नही.सती की प्रथा रामायण में नही थी. ८. वंशावलीयां- हरिवंश , श्रीमद भागवत , महा भारत और रामायण में भी कुछ वंशावलीयां उपलब्ध है. उसके संदर्भों से भी लगभग रामायण का काल ई.पू. ७००० वर्ष आता है. इसीलिये अब हम मोटे तौर पर ये कह सकते हैं कि रामायण का समय ईसा पूर्व करीब सात हज़ार साल के आसपास हो सकता है.
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10 comments:
आपने बहुत ही शोधपरक लेख लिखा है. आपका बहुत बहुत आभार. बहुत ही सटीक और सुंदर जानकारी दी आपने.
रामराम.
भगवान राम की जन्म तिथि से सम्बंधित यह अपने आप में एक विशेष आलेख है.बहुत ही शोधपरक और जानकारी पूर्ण.आप की मेहनत दिखाई दे रही है.
अंतिम कड़ी की प्रतीक्षा रहेगी.
मैं तो उन्हें कभी काल्पनिक नहीं मानती ,हाँ जो मानते हैं उनके लिए काफी प्रमाण हैं इस लेख में
यहाँ, मैं एक और सन्दर्भ आपकी दृष्टि मैं लाना चाहूंगा और वह है पुष्कर भटनागर की शोधपरक पुस्तक "Dating the era of Lord Ram" . यह पुस्तक अंग्रेजी मैं है जो रूपा एंड कंपनी, दिल्ली ने २००४ में प्रकाशित की थी. इसमें लेखक ने श्री राम की जन्म तिथि 10th January 5114 BC होने की बात की है. अधिक जानकारी के लिए इस लिंक को भी देखा जा सकता है. http://www.salagram.net/Rama-dates.html
सुन्दर सार्थक शोधपरक इस आलेख हेतु आपका कोटिशः आभार..
संग्रहनीय आलेख है यह.बड़ा ही आनंद आया पढ़कर...ईश्वर आपके प्रयास को सार्थकता दें...
सभी का धन्यवाद. काजल कुमार जी नें बतायी नयी जानकारी पर विशेष अध्ययन करने के लिये वैदिक विग्यान संशोदह्न मंडल और डॊ. वर्तक से आग्रह करूंगा, जिनके अथक प्रया से ये सभी जानकारीयां जुटी है.
श्री काजल कुमार जी ने पुष्कर भटनागर द्वारा लिखित "Dating the era of Lord Ram" नामक जिस पुस्तक का जिक्र किया है. उसके अनुसार भगवान श्री राम जी की जन्मतिथि 10 जनवरी 5114 BC है . इस तिथि के निर्धारण के लिए किसी प्लैनेटोरियम नामक साफ्टवेयर की मदद ली गई है....जब कि ये तिथि किसी भी लिहाज से सही नहीं हो सकती . क्यों कि वेद/पुराण, शास्त्रानुसार उनका जन्म चैत्र मास, शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मध्यवेला में हुआ था, जिसे कि युगों से हम लोग नवरात्री में रामनवमी के रूप में मनाते आ रहे हैं. अब बताईये जनवरी के महीने में चैत्र मास कहां से आ गया?
amuly jankari ke liye bhu bhutdhnywad
मानस पर ब्लॉग ! अगर आप मेरे ब्लॉग तक ना आये होते तो ये छुट ही रहा था... ! अगर सोमनाथ पर कुछ हो तो जरूर लिखें. बहुत दिनों से कुछ पढने के लिए ढूंढ़ रहा हूँ.
Authorities affirm that Vedic period was 1500BC to 1000BC.
Pl refer to "The Aryan- Recasting Constructs" by Romilla Thapar, for details.
Yr view awaited.
dilip ji ,aapka ye lekh padhkar main natmastak ho gaya .. kal hi main sriram ke baare me kuch padh raha tha .. aaj aapka aalekh padh kar ,bahut si baaton ka samaadhan ho gaya hai .. aapki mehnat ke liye aapko salaam kara hoon...
meri dil se aapko badhai ..
meri nayi poem par kuch kahiyenga to mujhe khushi hongi sir ji ..
www.poemsofvijay.blogspot.com
vijay
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